ramniwas guru

Wednesday 25 January 2012

VEER TEJAJI YUVA SAMITY,DAIKARA by ramniwas choudhary (guru)

ramniwas choudhary(B.A.,B.ed)

JAT

आज प्रदेश और देश भर में सबको यह ज्ञात है की सरकार जाटो के साथ भेद-भाव कर रही है.
यह हर जगह साफ़ नजर आ रहा है,
१. दिल्ली में नॉएडा अधिग्रहण में किसानो की जमीन उन से कोड़ियो के भाव में खरीद कर बड़े पैसो वालो को घर बनाने के लिए करोडो में बेचीं जाती है..वो जो AC में रहते है वो और घर बनाये और एक गरीब जाट किसान अपनी जमीन का भाव में अपने बेटी की शादी भी न कर पाए..

इस परभी सरकार का हाथ तो उस जाट वकील के विरुद्ध ही जाता दीखाई देता है जो किसानो का केस लड़ता है...

२ राजस्थान में हर तरह का मुख्यमंत्री बन सकता है पर जब जाट जाती में इतने सीनिअर नेता है जो इस मरुभूमि का अच्छे तरीके से नेतृतव कर सकते है तो क्यों हर बार किसी और को मुख्यमंत्री की कुर्सी दे दी जाती है...

३ जाट को टिकट देने में इस सरकार को इतना जोर क्यों आता है ..
लाडनू (नागौर) में हरजीराम बुरडक जी को टिकट तो नहीं दी पर जब वे स्वतंत्र रूप से जीत गये , तब उन्हें मंत्री पद का लालच दिया जाता है की वो सरकार की पार्टी का मोह न छोड़े...

४ छात्रसंघ चुनावो पर रोक होने के बावजूद ६ साल से राजस्थान युनिवेर्सिटी में छात्रों के हित में कम करने वाला युवा जाट जब प्रदेश कांग्रेश कार्यालय में में टिकट मांगने जाता है तो उससे यह कह कर निकल दिया है ....की "मुकेश भाकर " एक गुंडा है .

५ इस बार भी एक जाट न जीत जाये , चुनाव से ४ दिन पहले "प्रभा चौधरी" का टिकट रद्द कर दिया जाता है....
सोचिये दोस्तों अगर इस बार भी अगर वह जात की बेटी हार जाती तो क्या रह जाता हमारा,,,,,,,,,,,,,
फिर भी .. ..जाट ने ४ दिन में तीसरे मोर्चे का निर्माण कर उस सरकार के मुह पर ऐसा तमाचा मार दिया जिससे सायद वो आने वाले सालो में सहलाती रहेगी....

५ ये कुर्सी वाले , सफ़ेद कपडे पहनकर जब जाट किसान खेत में कम कर रहा होता है...उस्सी समय वोट मांगे तो आ जाते है.... पर किसान को उसके आनाज का "कितना और कैसे" मिलता है ...यह जगजाहिर है....

आवश्कता है जागने की....
किसी एक पार्टी विशेष को वोट न करे ....इन्हें वोट आने पर ये कहे की हम जाट को वोट करने वाले ...एक किसान को वोट देने वाले है...

देखते है , कोनसा ऐसा दूसरा समाज है जो जाट की हुंकार के आगे नहीं झुकता .....

जय जाट एकता .......
राम राम सा......

मै जन्मजात आशावादी हु ......
मै उन भारतीयों में से नहीं हू जो आधुनिकता की आंधी में अंधे हो कर अपनी अति प्राचीन महान भरतीय संस्कृति को भूल चुके है |
....हमने इतिहास से क्या सिखा है ....?
१ आज से हजारो साल पूर्व भी हम जातीवाद को ले कर आपस में युद कर रहे थे और आज ही कर रहे है .....
२ कल मुगलों ने और अंग्रेजो ने हम को आपस में लडवाया और आज हम को राजनेता लडवा रहे है
३ कल भी हम को लुटा जा रहा था और आज भी
४ कल भी हम पर बाहर से आक्रमण हो रहे थे और आज भी
५ कल भी हम एक राष्ट के रूप में संगठित न हो कर बेकार में आपस में मार-काट कर रहे थे और आज भी
..तो क्या अब फिर हम किसी किसी के आक्रमण का इंतजार कर रहे है या किसी और की गुलामी का .......
तो भीर क्यों नहीं हम पिछली गलतियों से सबक ले रहे ?????????
CONGRESS YE BOLTI HAI KI HUM AAM AADMI KI SARKAR HAI TO PHIR.............................................
MAHARSATRA MAIN NORTH INDIANS KO KOI SECURITY NAHI DI OR SRK KI EK MOVIE KO RELESE KARANE K LIYE ITNI SECURITY KYUN DI???





सरकारी नाई ने बाल काटते समय कपिल सिब्बल से पूछा.. साहब यह स्विस बैंक
वाला क्या लफड़ा है... सिब्बल चिल्लाये अबे तू बाल काट रहा है या
इन्क्वारी कर रहा है .. ... नाई बोला सॉरी अब नहीं पूछूँगा... अगली बार
नाई ने चिदम्बरम साहब से पूछा यह काला धन क्या होता है.. ...चिदम्बरम
चिल्लाये और बोले तुम हमसे ये सावल क्यूँ पूछता है.. अगले दिन नाई से सी
बी आई की टीम ने पूछताछ की... क्या तुम बाबा या अन्ना के एजेंट हो... नाई
बोला नहीं साबजी.. तो फिर तुम बाल काटते वक़्त काग्रेस के नेताओं फालतू
के सवाल क्यूँ करते हो..... नाई बोला साहब ना जाने क्यूँ स्विस बैंक और
काले धन के नाम पर इन कांग्रेसियों के बाल खड़े हो जाते है और मुझे बाल
काटने में आसानी हो जाती है....इसलिए पूछता रहता हूँ



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भाई के दुश्मन भाई ना होते,
महल आशा के धराशाई ना होते,
काश, यहाँ इंसान बनकर जीते सभी,
तो हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई ना होते.
अंतर्मन से सोचें...........देश आज़ाद है,
हम आज़ाद नहीं. मानसिक रूप से आज भी हम
अंग्रेज़ो के गुलाम हैं और मुक्ति का प्रयास भी नहीं करते,
क्योंकि हमारी सोच में हम आज़ाद हैं.
मुझ जैसे तो लाखों हैं, मुझमें कुछ नहीं, पर तुम लाखों में एक हो,
तुम जैसा कोई नहीं......!!!!
भारत माता को शत शत नमन.......!!
कोटि कोटि प्रणाम....!!जय हिंद....!! वंदे मातरम.......!!



घोडा रेस में बिक रहा है, वकील केस में बिक रहा है,
अदालत में जज बिक रहा है, वर्दी में फर्ज बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
मज़बूरी में इंसान बिक रहा है, जुल्म का हैवान बिक रहा है,
पैसों कि खातिर ईमान बिक रहा है, गरीबों का प्राण बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
फिल्मों में गाना बिक रहा है, गरीब बच्चों का दाना बिक रहा है,
स्कूल का मास्टर बिक रहा है, अस्पताल का डाक्टर बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
सड़कों पर मन बिक रहा है, ब्यूटी पार्लरों में तन बिक रहा है,
गरीबों का गुर्दा बिक रहा है, शर्म-हया का पर्दा बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
सर्कस का जोकर बिक रहा है, बैंक का लाकर बिक रहा है,
अखबार का हाकर बिक रहा है, कोठी का नोकर बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
गेट का संत्री बिक रहा है, पार्टी का मंत्री बिक रहा है,
खिलाडी खेल में बिक रहा है, कानून जेल में बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
दोस्ती में दोस्त बिक रहा है, बच्चों का गोश्त बिक रहा है,
पत्थर मिला दाल बिक रहा है, हर मोड़ पर दलाल बिक रहा है..



मैं हिन्‍दू हूं.... कट्टर हिन्‍दू को वोट दूंगा.....
मैं मुसलमान हूं..... मुसलमान की दुकान से सामान खरीदूगां....
मैं पंडित हूं...... ऊचें कुल में ही अपनी कन्‍या का विवाह करूगां.....
मैं ठाकुर हूं..... अपनी जान दे दूगां लेकिन जाति व्‍यवस्‍था अमर रखूंगा....
मैं वैश्‍य हूं..... मेरा ईमान धर्म सब पैसा है.....
मैं शूद्र हूं....
ब्राह्रमणों ने, क्षत्रियों के बल का प्रयोग कर......
वैश्‍यों के आर्थिक सहयोग से..... हमेशा मेरा शोषण किया....
आज भी करते हैं.... इसलिये मुझे आरक्षण चाहिये....
मैं राजनेता हूं....... सब को खुस रखूगा.... मुझे वोट चाहिये.....
मैं न्‍यूज कम्‍पनी हूं..... मुझे बोलने का पैसा मिलता है.... मुद्दा कोई भी हो....
मै भारत हूं...... जितने चाहें टुकडे कर लो..... खामोश रहूगां....
मै भारत का युवा हूं....
जाति और धर्म ने मेरा प्‍यार मुझसे छीन लिया....
मैं देश से प्‍यार क्‍यों करू.....
मैं भारतीय हूं..... मैं कहां जाऊ....
बिना जाति और धर्म का चोला पहने....
मुझसे हर कोई नफरत करता है.....
खून के आंसू पीकर जीता हूं....
फिर भी सब से कहता हूं....
जय हिन्‍द.......

श्री सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज मँदिर युवा समिति



श्री वीर तेजाजी युवा समिति,द्वारा प्रतिवर्ष वीर तेजा दशमी को यहाँ मँदिर प्रागण मे रात्रिकालिन महाभजन सँध्या  आयोजित होती है ,भजन सँध्या मे ख्यातिप्राप्त लोककलाकारो द्वारा भजन मँङली, का सभी ग्रामवासियो के सहयोग से आयोजन होता है,हजारो की तादाद मै श्रोता भजनो का लाभ लेने पहूचते है ।वही तेजाजी मँदिर प्रागण मे मेले का आयोजन होता है ,जाट समुदाय के लोग हजारो की सख्या मे सामिल होकर तेजाजी महाराज के दर्शन कर अपने को धन्य़ करते है ।युवा समिति द्वारा वहाँ विभिन कार्य मे अपना योगदान देते है ।  आज तक भामाशाहो दवारा 30 लाख कि सहयोग राशी मिल चुकी है------------------- जाट कौम जैसी मार्शल कौम के ईतिहास को अपने आने वाली भावी पीढी तक पहुचाना ।                             श्री वीर तेजाजी महाराज मँदिर खरनाल(नागौर) के बाद जोधपुर रियासत का पहला ऐतिहासिक मँदिर के रूप मे खयाति हासिल करना ।आने वाली भावी पीढी ईस मँदिर का ईतिहास मे बखान कर सके  ।कोई भी कौम का भामाशाह मँदिर मे अपनी सहयोग राशी दे सकता है                                                                                    -                                                                                                                    --वीर तेजाजी मँदिर युवा समिति,दईकङा--        
      1  )    अध्यक्ष,            चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) -           आयु-  91 वर्ष                                                            2  )    वयवस्थापक,     चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) -           आयु-  91 वर्ष                                       3  )   कोषाध्यक्ष ,         चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) -           आयु-  91 वर्ष                                 4  )  उपकोषाध्यक्ष 1,       रघुनाथ जी भांम्भु                                                                                   5  )   उपकोषाध्यक्ष 2 ,    गोकुलराम जी ढाका                                                                               
6  )   सदस्य,         सभी युवा वर्ग (वयस्क,जाट बँधु)                                                                 -                                      -         प्रेषक आपका अजीज अनुज जाटबँधु    रामनिवास गुरू (बी.ए.,बी.एड ,)                              मोबाईल न. 9950577920,8764304384,   दईकङा,,(सारण नगर,बनाङ रोङ,जोधपुर)  







VEER TEJAJI YUVA SAMITY,DAIKARA by ramniwas choudhary (guru)


JAT SAMAJवह होता है जो सुसंगठित व एकता-समता के संवेदनात्मक सूत्र से बंधा हो। सुविचारों वाला तथा प्रगतिशील व उदार दृष्टिकोणवाला हो। जिसमें समयानुकूल सुपरिवर्तन करने की क्षमता हो तथा रूढवाद, जडता व अन्ध परम्पराओं एवम् विश्वासों से मुक्त हो। सामाजिक उत्थान व विकास के लिए प्रतिबद्ध होने के साथ-साथ भेदभाव, ऊँच-नीच की संकीर्णताओं से विमुक्त हो स्वार्थान्धता, स्वकेन्द्रीयता से स्वतन्त्र व अपनी भावी-पीढयों के उज्ज्वल भविष्य के प्रति जागरूक एवम् सक्रिय हो। जिस समाज का हर जन समाज के लिए समर्पित व िहत चिन्तक हो तथा अपने समाज को श्रेष्ट बनाने के लिए कटिबद्ध हो। बालक-युवा, नारी-वृद्ध के प्रति संवेदनशील व कल्याणकारी हो तथा समाज को हर क्षेत्र में आगे बढाने की भावना से संकल्पित हो। समाज के आर्थिक उत्थान के प्रति चिन्तनशील व प्रयासरत होते हुए समाज के सदस्यों का हाथ पकड उन्हें ऊँचा उठाने के लिए कार्यरत हो। संक्षेप में समाज के सभी वर्ग पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, संास्कृतिक, शैक्षणिक, व्यवसायिक, प्रशासनिक, राजनीतिक, तकनीकी, वैज्ञानिक, उद्योग व रोजगार आदि जीवनोपयोगी क्षेत्रों में समाज के निरन्तर विकास तथा प्रगति के लिए चिन्तन व चिन्तायुक्त हो ।

ramniwas guru(B.A.,B.ed)
इस कसौटी पर यदि समाज को कसें तो हमारा समाज काफी पिछडा हुआ नजर आता है। अपने आप को सबमें श्रेष्ठ और सुसंस्कृत तथा उत्तम आचार-विचार मानने वाला हमारा समाज मोहान्ध स्वार्थान्ध व परम्परान्ध है, भूत-उपासक और स्वप्नजीवी है। हम आचार-विचार-व्यावहारहीन होते हुए भी अपनी श्रेष्ठता व उच्चता का गर्वन-गान करते है। क्या ऐसा करके कोई भी समाज समय के साथ कदम मिला सकता है ? नहीं, उसे अपना आत्म-चिन्तन व आत्म-विश्लेषण करना होगा। आत्म-मंथन से ही अमृत मिल सकता है।

पारिवारिक रूप से हम टूटन-विखण्डन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। आंगन में दीवारें बन रही हैं - व्यक्ति आंगन की बजाय अपने कक्ष का हो रहा है। उसका कक्ष उसका परिवार (मैं, पत्नी, बच्चे) ही उसके लिए सर्वोपरि हैं। स्वार्थ सिकुडता जा रहा है। मुखिया का नियंत्रण घट रहा है - अनुशासन हीनता बढी जा रही है, मर्यादा, आचरण, संस्कार व खान-पान सब दूषित होते जा रहे हैं। परिवार बिखर रहे हैं। यह हमारे घर-घर की कहानी है। इस पत्रिका द्वारा हमारा प्रयास आत्म मंथन करना है, न कि कोई विवाद उत्पन्न करना।

‘‘पीर पर्वत सी हो गई, अब पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा उतरनी चाहिए,

बखेडा खडा करना हमारा मकसद नहीं, मकसद तो यह है कि सूरत बदलनी चाहिए’’
BY:ramniwas choudhary(guru)daikara,jodhpur (B.A,.B.ed)

''क्या जाटों को भारतमाता की जयघोष करनी चाहिए?; जवाब दे!''


by ramniwas choudhary(guru)(daikara)(B.A.,B.ED)
प्रश्न न.1-
भारत माता की जो फोटो आप देखते हो वो उसमें साड़ी पहने हुयी हैं और श्रृंगार किये हुए हैं जबकि जाट महिला कभी साड़ी नहीं डालती! वो तो मुख्यत: सूट सलवार ही पहनती है!
प्रश्न न. 2
क्या जाटनियां हमेशा अपने होठों पे लाल लिपस्टिक लगाये रखती हैं जैसी लिपस्टिक हमेशा भारत माता लगाये रखती हैं!
प्रश्न न.3
 क्या जाटनियां(हमारी जाटमाता) कभी हाथ में वींणा उठा कर रखती हैं जैसा कि भारतमाता ने उठाई हुयी हैं जो कि केवल कोट्ठो या वेश्यावृति आलयो में ही आजकल वींणा बजाई जाती हैं! 
    तो और भी बहुत सारी  ऐसी बातें हैं जो स्पष्ट करती हैं कि वो भारत माता हमारी माता नहीं है!
ये सब ब्राह्मणवादी षड़यंत्र हैं ताकि इस भारतमाता के चक्कर में हिन्दू और मुस्लिम जाटों में भेदभाव आये और इनकी एकता खंडित हो जाएँ!