ramniwas guru

Wednesday 25 January 2012

VEER TEJAJI YUVA SAMITY,DAIKARA by ramniwas choudhary (guru)

ramniwas choudhary(B.A.,B.ed)

JAT

आज प्रदेश और देश भर में सबको यह ज्ञात है की सरकार जाटो के साथ भेद-भाव कर रही है.
यह हर जगह साफ़ नजर आ रहा है,
१. दिल्ली में नॉएडा अधिग्रहण में किसानो की जमीन उन से कोड़ियो के भाव में खरीद कर बड़े पैसो वालो को घर बनाने के लिए करोडो में बेचीं जाती है..वो जो AC में रहते है वो और घर बनाये और एक गरीब जाट किसान अपनी जमीन का भाव में अपने बेटी की शादी भी न कर पाए..

इस परभी सरकार का हाथ तो उस जाट वकील के विरुद्ध ही जाता दीखाई देता है जो किसानो का केस लड़ता है...

२ राजस्थान में हर तरह का मुख्यमंत्री बन सकता है पर जब जाट जाती में इतने सीनिअर नेता है जो इस मरुभूमि का अच्छे तरीके से नेतृतव कर सकते है तो क्यों हर बार किसी और को मुख्यमंत्री की कुर्सी दे दी जाती है...

३ जाट को टिकट देने में इस सरकार को इतना जोर क्यों आता है ..
लाडनू (नागौर) में हरजीराम बुरडक जी को टिकट तो नहीं दी पर जब वे स्वतंत्र रूप से जीत गये , तब उन्हें मंत्री पद का लालच दिया जाता है की वो सरकार की पार्टी का मोह न छोड़े...

४ छात्रसंघ चुनावो पर रोक होने के बावजूद ६ साल से राजस्थान युनिवेर्सिटी में छात्रों के हित में कम करने वाला युवा जाट जब प्रदेश कांग्रेश कार्यालय में में टिकट मांगने जाता है तो उससे यह कह कर निकल दिया है ....की "मुकेश भाकर " एक गुंडा है .

५ इस बार भी एक जाट न जीत जाये , चुनाव से ४ दिन पहले "प्रभा चौधरी" का टिकट रद्द कर दिया जाता है....
सोचिये दोस्तों अगर इस बार भी अगर वह जात की बेटी हार जाती तो क्या रह जाता हमारा,,,,,,,,,,,,,
फिर भी .. ..जाट ने ४ दिन में तीसरे मोर्चे का निर्माण कर उस सरकार के मुह पर ऐसा तमाचा मार दिया जिससे सायद वो आने वाले सालो में सहलाती रहेगी....

५ ये कुर्सी वाले , सफ़ेद कपडे पहनकर जब जाट किसान खेत में कम कर रहा होता है...उस्सी समय वोट मांगे तो आ जाते है.... पर किसान को उसके आनाज का "कितना और कैसे" मिलता है ...यह जगजाहिर है....

आवश्कता है जागने की....
किसी एक पार्टी विशेष को वोट न करे ....इन्हें वोट आने पर ये कहे की हम जाट को वोट करने वाले ...एक किसान को वोट देने वाले है...

देखते है , कोनसा ऐसा दूसरा समाज है जो जाट की हुंकार के आगे नहीं झुकता .....

जय जाट एकता .......
राम राम सा......

मै जन्मजात आशावादी हु ......
मै उन भारतीयों में से नहीं हू जो आधुनिकता की आंधी में अंधे हो कर अपनी अति प्राचीन महान भरतीय संस्कृति को भूल चुके है |
....हमने इतिहास से क्या सिखा है ....?
१ आज से हजारो साल पूर्व भी हम जातीवाद को ले कर आपस में युद कर रहे थे और आज ही कर रहे है .....
२ कल मुगलों ने और अंग्रेजो ने हम को आपस में लडवाया और आज हम को राजनेता लडवा रहे है
३ कल भी हम को लुटा जा रहा था और आज भी
४ कल भी हम पर बाहर से आक्रमण हो रहे थे और आज भी
५ कल भी हम एक राष्ट के रूप में संगठित न हो कर बेकार में आपस में मार-काट कर रहे थे और आज भी
..तो क्या अब फिर हम किसी किसी के आक्रमण का इंतजार कर रहे है या किसी और की गुलामी का .......
तो भीर क्यों नहीं हम पिछली गलतियों से सबक ले रहे ?????????
CONGRESS YE BOLTI HAI KI HUM AAM AADMI KI SARKAR HAI TO PHIR.............................................
MAHARSATRA MAIN NORTH INDIANS KO KOI SECURITY NAHI DI OR SRK KI EK MOVIE KO RELESE KARANE K LIYE ITNI SECURITY KYUN DI???





सरकारी नाई ने बाल काटते समय कपिल सिब्बल से पूछा.. साहब यह स्विस बैंक
वाला क्या लफड़ा है... सिब्बल चिल्लाये अबे तू बाल काट रहा है या
इन्क्वारी कर रहा है .. ... नाई बोला सॉरी अब नहीं पूछूँगा... अगली बार
नाई ने चिदम्बरम साहब से पूछा यह काला धन क्या होता है.. ...चिदम्बरम
चिल्लाये और बोले तुम हमसे ये सावल क्यूँ पूछता है.. अगले दिन नाई से सी
बी आई की टीम ने पूछताछ की... क्या तुम बाबा या अन्ना के एजेंट हो... नाई
बोला नहीं साबजी.. तो फिर तुम बाल काटते वक़्त काग्रेस के नेताओं फालतू
के सवाल क्यूँ करते हो..... नाई बोला साहब ना जाने क्यूँ स्विस बैंक और
काले धन के नाम पर इन कांग्रेसियों के बाल खड़े हो जाते है और मुझे बाल
काटने में आसानी हो जाती है....इसलिए पूछता रहता हूँ



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भाई के दुश्मन भाई ना होते,
महल आशा के धराशाई ना होते,
काश, यहाँ इंसान बनकर जीते सभी,
तो हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई ना होते.
अंतर्मन से सोचें...........देश आज़ाद है,
हम आज़ाद नहीं. मानसिक रूप से आज भी हम
अंग्रेज़ो के गुलाम हैं और मुक्ति का प्रयास भी नहीं करते,
क्योंकि हमारी सोच में हम आज़ाद हैं.
मुझ जैसे तो लाखों हैं, मुझमें कुछ नहीं, पर तुम लाखों में एक हो,
तुम जैसा कोई नहीं......!!!!
भारत माता को शत शत नमन.......!!
कोटि कोटि प्रणाम....!!जय हिंद....!! वंदे मातरम.......!!



घोडा रेस में बिक रहा है, वकील केस में बिक रहा है,
अदालत में जज बिक रहा है, वर्दी में फर्ज बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
मज़बूरी में इंसान बिक रहा है, जुल्म का हैवान बिक रहा है,
पैसों कि खातिर ईमान बिक रहा है, गरीबों का प्राण बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
फिल्मों में गाना बिक रहा है, गरीब बच्चों का दाना बिक रहा है,
स्कूल का मास्टर बिक रहा है, अस्पताल का डाक्टर बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
सड़कों पर मन बिक रहा है, ब्यूटी पार्लरों में तन बिक रहा है,
गरीबों का गुर्दा बिक रहा है, शर्म-हया का पर्दा बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
सर्कस का जोकर बिक रहा है, बैंक का लाकर बिक रहा है,
अखबार का हाकर बिक रहा है, कोठी का नोकर बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
गेट का संत्री बिक रहा है, पार्टी का मंत्री बिक रहा है,
खिलाडी खेल में बिक रहा है, कानून जेल में बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.......
दोस्ती में दोस्त बिक रहा है, बच्चों का गोश्त बिक रहा है,
पत्थर मिला दाल बिक रहा है, हर मोड़ पर दलाल बिक रहा है..



मैं हिन्‍दू हूं.... कट्टर हिन्‍दू को वोट दूंगा.....
मैं मुसलमान हूं..... मुसलमान की दुकान से सामान खरीदूगां....
मैं पंडित हूं...... ऊचें कुल में ही अपनी कन्‍या का विवाह करूगां.....
मैं ठाकुर हूं..... अपनी जान दे दूगां लेकिन जाति व्‍यवस्‍था अमर रखूंगा....
मैं वैश्‍य हूं..... मेरा ईमान धर्म सब पैसा है.....
मैं शूद्र हूं....
ब्राह्रमणों ने, क्षत्रियों के बल का प्रयोग कर......
वैश्‍यों के आर्थिक सहयोग से..... हमेशा मेरा शोषण किया....
आज भी करते हैं.... इसलिये मुझे आरक्षण चाहिये....
मैं राजनेता हूं....... सब को खुस रखूगा.... मुझे वोट चाहिये.....
मैं न्‍यूज कम्‍पनी हूं..... मुझे बोलने का पैसा मिलता है.... मुद्दा कोई भी हो....
मै भारत हूं...... जितने चाहें टुकडे कर लो..... खामोश रहूगां....
मै भारत का युवा हूं....
जाति और धर्म ने मेरा प्‍यार मुझसे छीन लिया....
मैं देश से प्‍यार क्‍यों करू.....
मैं भारतीय हूं..... मैं कहां जाऊ....
बिना जाति और धर्म का चोला पहने....
मुझसे हर कोई नफरत करता है.....
खून के आंसू पीकर जीता हूं....
फिर भी सब से कहता हूं....
जय हिन्‍द.......

श्री सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज मँदिर युवा समिति



श्री वीर तेजाजी युवा समिति,द्वारा प्रतिवर्ष वीर तेजा दशमी को यहाँ मँदिर प्रागण मे रात्रिकालिन महाभजन सँध्या  आयोजित होती है ,भजन सँध्या मे ख्यातिप्राप्त लोककलाकारो द्वारा भजन मँङली, का सभी ग्रामवासियो के सहयोग से आयोजन होता है,हजारो की तादाद मै श्रोता भजनो का लाभ लेने पहूचते है ।वही तेजाजी मँदिर प्रागण मे मेले का आयोजन होता है ,जाट समुदाय के लोग हजारो की सख्या मे सामिल होकर तेजाजी महाराज के दर्शन कर अपने को धन्य़ करते है ।युवा समिति द्वारा वहाँ विभिन कार्य मे अपना योगदान देते है ।  आज तक भामाशाहो दवारा 30 लाख कि सहयोग राशी मिल चुकी है------------------- जाट कौम जैसी मार्शल कौम के ईतिहास को अपने आने वाली भावी पीढी तक पहुचाना ।                             श्री वीर तेजाजी महाराज मँदिर खरनाल(नागौर) के बाद जोधपुर रियासत का पहला ऐतिहासिक मँदिर के रूप मे खयाति हासिल करना ।आने वाली भावी पीढी ईस मँदिर का ईतिहास मे बखान कर सके  ।कोई भी कौम का भामाशाह मँदिर मे अपनी सहयोग राशी दे सकता है                                                                                    -                                                                                                                    --वीर तेजाजी मँदिर युवा समिति,दईकङा--        
      1  )    अध्यक्ष,            चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) -           आयु-  91 वर्ष                                                            2  )    वयवस्थापक,     चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) -           आयु-  91 वर्ष                                       3  )   कोषाध्यक्ष ,         चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) -           आयु-  91 वर्ष                                 4  )  उपकोषाध्यक्ष 1,       रघुनाथ जी भांम्भु                                                                                   5  )   उपकोषाध्यक्ष 2 ,    गोकुलराम जी ढाका                                                                               
6  )   सदस्य,         सभी युवा वर्ग (वयस्क,जाट बँधु)                                                                 -                                      -         प्रेषक आपका अजीज अनुज जाटबँधु    रामनिवास गुरू (बी.ए.,बी.एड ,)                              मोबाईल न. 9950577920,8764304384,   दईकङा,,(सारण नगर,बनाङ रोङ,जोधपुर)  







VEER TEJAJI YUVA SAMITY,DAIKARA by ramniwas choudhary (guru)


JAT SAMAJवह होता है जो सुसंगठित व एकता-समता के संवेदनात्मक सूत्र से बंधा हो। सुविचारों वाला तथा प्रगतिशील व उदार दृष्टिकोणवाला हो। जिसमें समयानुकूल सुपरिवर्तन करने की क्षमता हो तथा रूढवाद, जडता व अन्ध परम्पराओं एवम् विश्वासों से मुक्त हो। सामाजिक उत्थान व विकास के लिए प्रतिबद्ध होने के साथ-साथ भेदभाव, ऊँच-नीच की संकीर्णताओं से विमुक्त हो स्वार्थान्धता, स्वकेन्द्रीयता से स्वतन्त्र व अपनी भावी-पीढयों के उज्ज्वल भविष्य के प्रति जागरूक एवम् सक्रिय हो। जिस समाज का हर जन समाज के लिए समर्पित व िहत चिन्तक हो तथा अपने समाज को श्रेष्ट बनाने के लिए कटिबद्ध हो। बालक-युवा, नारी-वृद्ध के प्रति संवेदनशील व कल्याणकारी हो तथा समाज को हर क्षेत्र में आगे बढाने की भावना से संकल्पित हो। समाज के आर्थिक उत्थान के प्रति चिन्तनशील व प्रयासरत होते हुए समाज के सदस्यों का हाथ पकड उन्हें ऊँचा उठाने के लिए कार्यरत हो। संक्षेप में समाज के सभी वर्ग पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, संास्कृतिक, शैक्षणिक, व्यवसायिक, प्रशासनिक, राजनीतिक, तकनीकी, वैज्ञानिक, उद्योग व रोजगार आदि जीवनोपयोगी क्षेत्रों में समाज के निरन्तर विकास तथा प्रगति के लिए चिन्तन व चिन्तायुक्त हो ।

ramniwas guru(B.A.,B.ed)
इस कसौटी पर यदि समाज को कसें तो हमारा समाज काफी पिछडा हुआ नजर आता है। अपने आप को सबमें श्रेष्ठ और सुसंस्कृत तथा उत्तम आचार-विचार मानने वाला हमारा समाज मोहान्ध स्वार्थान्ध व परम्परान्ध है, भूत-उपासक और स्वप्नजीवी है। हम आचार-विचार-व्यावहारहीन होते हुए भी अपनी श्रेष्ठता व उच्चता का गर्वन-गान करते है। क्या ऐसा करके कोई भी समाज समय के साथ कदम मिला सकता है ? नहीं, उसे अपना आत्म-चिन्तन व आत्म-विश्लेषण करना होगा। आत्म-मंथन से ही अमृत मिल सकता है।

पारिवारिक रूप से हम टूटन-विखण्डन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। आंगन में दीवारें बन रही हैं - व्यक्ति आंगन की बजाय अपने कक्ष का हो रहा है। उसका कक्ष उसका परिवार (मैं, पत्नी, बच्चे) ही उसके लिए सर्वोपरि हैं। स्वार्थ सिकुडता जा रहा है। मुखिया का नियंत्रण घट रहा है - अनुशासन हीनता बढी जा रही है, मर्यादा, आचरण, संस्कार व खान-पान सब दूषित होते जा रहे हैं। परिवार बिखर रहे हैं। यह हमारे घर-घर की कहानी है। इस पत्रिका द्वारा हमारा प्रयास आत्म मंथन करना है, न कि कोई विवाद उत्पन्न करना।

‘‘पीर पर्वत सी हो गई, अब पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा उतरनी चाहिए,

बखेडा खडा करना हमारा मकसद नहीं, मकसद तो यह है कि सूरत बदलनी चाहिए’’
BY:ramniwas choudhary(guru)daikara,jodhpur (B.A,.B.ed)

''क्या जाटों को भारतमाता की जयघोष करनी चाहिए?; जवाब दे!''


by ramniwas choudhary(guru)(daikara)(B.A.,B.ED)
प्रश्न न.1-
भारत माता की जो फोटो आप देखते हो वो उसमें साड़ी पहने हुयी हैं और श्रृंगार किये हुए हैं जबकि जाट महिला कभी साड़ी नहीं डालती! वो तो मुख्यत: सूट सलवार ही पहनती है!
प्रश्न न. 2
क्या जाटनियां हमेशा अपने होठों पे लाल लिपस्टिक लगाये रखती हैं जैसी लिपस्टिक हमेशा भारत माता लगाये रखती हैं!
प्रश्न न.3
 क्या जाटनियां(हमारी जाटमाता) कभी हाथ में वींणा उठा कर रखती हैं जैसा कि भारतमाता ने उठाई हुयी हैं जो कि केवल कोट्ठो या वेश्यावृति आलयो में ही आजकल वींणा बजाई जाती हैं! 
    तो और भी बहुत सारी  ऐसी बातें हैं जो स्पष्ट करती हैं कि वो भारत माता हमारी माता नहीं है!
ये सब ब्राह्मणवादी षड़यंत्र हैं ताकि इस भारतमाता के चक्कर में हिन्दू और मुस्लिम जाटों में भेदभाव आये और इनकी एकता खंडित हो जाएँ!




Tuesday 24 January 2012

VEER TEJAJI YUVA SAMITY,DAIKARA by ramniwas choudhary (guru)

jai veer  tejaji maharaj    jai maa gogmaya(kuldevi,devikhera dhaniyani)
आज भाइयो हर जाति साणी हो गी ,हर आपान भी आगे बढ़ना है ,हम ज्यादा गर्मी नही खाते है यही हमारी सबसे बड़ी गलती है --अरे जाट तो वो है जो अंधी को भी तूफान बना देते है
हमारा इतिहास इतना महँ है की अगर हम १ बार उससे पढ़ ले या ये रागनी मेरी प्रोफाइल में है उससे सुन ले ,आपकी रोगटे न खड़े हो जाये तो कहना ,
मै उस जाट परिवार से तालुक रखता हु जहा जनम लेते ही बोला जाता है बेटा अगर कोम क लिए तुझे अपनी जान देनी पड़े तो हमसे पूछने की जरुरत नही है ,
भाइयो अगर हम अब भी नहीं संभाले तो कभी नही संभल सकेगे ,हमारी कोम को आज हमारे बलिदान की जरुरत है ,और हमें वो देना होगा,,हम अपनी कोम को अपनी आँखों से यु बर्बाद होते नही देख सकते है
मै आप सभी से अनुरोध करूँगा की आप जितना जल्दी हो सके अपने जिला में जाट को एकजुट करे
हम उस महान कोम से तालुक रखते है जिसने कभी अपनी मूल्यों से समझोता नही किया ,एक कहावत जाटो में -" मुछ नही ते कुछ नही "
इसका मतलब है की अगर इज्जत नही तो हमे जीने का भी कोई अधिकार नही है ,हमे गर्व होना चाहिए की भगवन ने हमें जाट के घर पैदा किया है ,
हमारी कोम के रखवालो ने इतना गोरवशाली इतहास हमें दिया ये उनका उपकार है हमारे ऊपर और हमारा ये फ़र्ज़ बनता है की हम उससे संजो कर रखे
मै आप जाट भाइयो से विनती करूँगा की सरम-संके को छोरकर अपनी कोम को एकजुट करने में हमारा साथ दे ,ये समय की मांग है हम पिछड़ते जा रहे है ,
अगर हम आघे जाट भी एकजुट हो गये तो सरे सिस्टम को अपने अंडर कर सकते है ,
सभी जाट भाई आज से अपना लक्ष्य बनाये की हर महीने हम कम से कम पचाश जाट भाइयो को एक करेगे ,और वो दिन दूर नही जब हम सब राज करेगे ,..!!!
ये मेरे अकेले के करने से नही होगा इसमे हर जाट भाई के योगदान की आवश्यकता है क्युकी आप ही हो जो ये सब कर सकते हो
जय जाट

by: ramniwas choudhary(guru)(B.A.,B.ed)
daikara,jodhpur con .no.-9950577920,8764304384
......................
वह खून कहो किस मतलब का जिसमे उबाल का नाम नहीं,
वह खून कहो किस मतलब का आ सके कोम के काम नहीं.

वह खून कहो किस मतलब का जिसमे जीवन ना रवानी हैं,
जो परवश होकर बहता हैं वह खून नहीं हैं पानी हैं.

उस दिन दुनिया ने सही सही खून की कीमत पहचानी थी,
जिस दिन सुनील ने हिसार में दी अपनी कुर्बानी थी.

बोले जाट कोम की खातिर बलिदान तुम्हे करना होगा,
तुम बहुत जी चुके हो जग में लेकिन आगे मरना होगा.

कोम के लिए जो जयमाल चढ़ाई जायेगी,
वह सुनो तुम्हारे शीशों के फूलों से गुंथी जायेगी.

कोम का संग्राम कही पैसे पर खेला जाता हैं ,
यह शीश काटने का सौदा नंगे सर झेला जाता हैं.

कोम का इतिहास कही काली स्याही लिख पाती हैं ?
इसको लिखने के लिए खून की नदी बहाई जाती हैं.

यह कहते कहते वक्ता की आँखों में लहू उतर आया,
मुझ रक्त वर्ण हो दमक उठा दमकी उनकी रक्तिम काया.

अजनुबाहू ऊँची करके वो बोले " साथ मुझे देना "
इसके बदले जाटों की एकता तुम मुझसे लेना.

हो गयी सभा में उथल-पुथल सीने में दिल ना समाते थे,
स्वर में जय जाट के नारों का कोसों तक छाये जाते थे.

हम देंगे-देंगे साथ शब्द बस यही सुनाई देते थे,
रण में जाने को युवक खड़े तैयार दिखाई देते थे.

बोले सूरजमल जी ऐसे नहीं बातों से मतलब सरता हैं,
लो यह कागज़ हैं कौन यहाँ आकर हस्ताक्षर करता हैं.

इसको भरने वाले जन को सर्वस्व समर्पण करना हैं,
अपना तन-मन -धन जीवन अपनी कोम को अर्पण करना हैं.

पर यह साधारण पत्र नहीं अपनी कोम की एकता का परवाना हैं,
इसपर तुमको अपने तन का कुछ उज्जवल रक्त गिराना हैं.

वह आगे आये जिसके तन में जाट का खून बहता हो,
वह आगे आये जो अपने को जाट कहता हो.

वह आगे आये जो इसपर खुनी हस्ताक्षर देता हो ,
मैं कफ़न बढ़ाता हूँ आये, जो हसकर इसको लेता हो.

सारी जनता हुंकार उठी हम आते हैं हम आते हैं,
कोम के चरणों में यह लो हम अपना रक्त चढाते हैं.

साहस से बढे युवक उस दिन,देखा बढ़ते ही आते थे,
चाक़ू-छुरी कटियारों से वो अपना रक्त गिराते थे.

फिर उसी रक्त स्याही में वो अपनी कलम डुबाते थे,
कोम के परवाने पर वो हस्ताक्षर करते जाते थे.

उस दिन तारों ने देखा जाटों का इतिहास नया,
जब लिखा महा रणवीरों ने खूं से अपना इतिहास नया.
जय जाट ..!!!





♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°जाटों की ऐसी कहानी है , कि
जाट ही जाट कि निशानी है हम जब आये तो तुमको एहसास था , कि कोई एक शेर मेरे
पास था हम गरम खून के उबाल हैं , प्यासी नदियों की चाल हैं , हमारी गर्जना
विन्ध्य पर्वतों से टकराती है और हिमालय की चोटी तक जाती है हम थक कर
बैठेने वाले रड बांकुर नहीं ठाकुर हैं .... गर्व है हमें जिस माँ के पूत
हैं , जीतो क्यूंकि हम जाट हैं...!!!♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕° जाट कौन?????विविधायुध वान रखे नितही , रण से खुश जाट वही |सब लोगन के भय टारन को ,अरी तस्कर दुष्टन मारन को |रहना न चहे पर के वश में ,न गिरे त्रिय जीवन के रस में |जिसके उर में शान्ति रही ,नय निति रखे जाट वही |जननी भगनी सम अन्य त्रिया, गिन के न कभी व्यभिचार किया |यदि आवत काल क्रपान गहि ,भयभीत न हो जाट वही |धर्तिवान से धीर समीप रखे , निज चाकर खवासन को निरखे |जिसने न रिपु ललकार सही , परिवार की रखे लाज जाट वही


हर नज़र को एक नज़र की तलाश है, हर चहरे मे कुछ तो एह्साह है! आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे, क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है! चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता, तो चाँद की चाहत किसे होती! कट सकती अगर अकेले जिन्दगी, तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती! कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना, इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना! कभी अगर दिल भर जाये तो संग अपने रुला लेना, तनहा जी कर अपने इस दोस्त को इतने बड़ी सजा ना देना! दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है, अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है! दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट, अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी झुक जता है! दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही, दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही! इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे, यह वो "अनमोल" मोती है जो बिकता नही! सची है दोस्ती आजमा के देखो, करके यकीं मुझपर मेरे पास आके देखो! बदलता नही कभी सोना अपना रंग, चाहे जितनी बार आग मे जला के देखो



by >--------ramniwas choudhary,daikara,jodhpur





VEER TEJAJI YUVA SAMITY,DAIKARA by ramniwas choudhary (guru)


जाट ईतिहास

satyawadi veer tejaji maharaj
श्रुणु देवि जगद्वन्दे सत्यं सत्यं वदामिते।
जटानां जन्म कर्माणि यन्न पूर्व प्रकाशितं॥
महाबला महावीर्या महासत्व पराक्रमतमा।
सर्वाग्रे क्षौत्रिया जट्टा देव कल्पा दृढ़वृता:॥
सृष्टेरादौ महामाये वीर भद्रस्य शक्तित:।
कन्यानांहि दक्षस्य गर्भे जाता जट्टा महेश्वरी।
गर्व खर्मोन्न विप्राणां देवानां च महेश्वरी।
विचित्र विस्मयं सत्यं पौराणिकै: संगोपितं॥

अर्थ कृमहादेव ने पार्वती से कहा कि हे जगजननी भगवती! जाट जाति के जन्म
कर्म के विषय में उस सच्चाई का कथन करता हूँ जो अभी तक किसी ने भी
प्रकाशित नहीं किया। ये जट्ट बलशाली, अत्यन्त वीर्यवान प्रचंड पराक्रमी
हैं सम्पूर्ण क्षत्रियों में यही जाति सर्वप्रथम शासक हुई। ये देवताओं के
समान दृढ़ संकल्प वाले हैं। सृष्टि के आदि में वीरभद्र की योगमाया के
mahadev(lord shiva)
प्रभाव से दक्ष की कन्याओं से जाटों की उत्पत्तिा हुई। इस जाति का इतिहास
अत्यन्त विचित्र एवं विस्मयजनक है। इनके उज्ज्वल अतीत से ब्राह्मणों और
देवताओं के मित्याभिमान का विनाश होता है इसीलिए इस जाति के सच्चे इतिहास
को पौराणिकों ने अभी तक छिपाये रखा था।
जाट शब्द का प्रयोग आदिकाल से होता आया है। आदि सृष्टि में देवाधिदेव
भगवान आदि शासक सम्राट हुये। भगवान शंकर की जटा से उत्पन्न होने के कारण
ही इस समुदाय का नाम जाट पड़ा है। भगवान शिव के गुणों की साद्रश्यता जाटों
में आज तक विद्यमान है। भगवान महादेव शंकर की जटाओं से निसृत
ब्रह्मपुत्र, गंगा, यमुना, सरस्वती, सतलज, ब्यास, रवि, चिनाब, झेलम,
गोदावरी, नर्मदा इत्यादि से उर्वरित भूमि जाटों की मातृभूमि विशेषतया रही
है।
पर्यावरण की पवित्रता तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिये इस जाति के लोग
परमयाज्ञीक हैं, देव पूजा, संगती करण, दान करना उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति
हे। भगवान शिवजी से जाटों की उत्पत्ति का युक्ति प्रमाण से विस्तार
ramniwas choudhary(guru)(B.A.,B.ed.)
पूर्वक वर्णन है। रघुवंशी राजाओं, चंद्रवंशी राजाओं के वैवाहिक सम्बन्ध,
राज्य प्रबन्धों, सुरक्षित वैभव सम्पन्न प्रजाओं का विशद आख्यान,
पूर्वकथित जाटों जैसे गुण मिथिलाधिपीत जनक विदेह और दिलीप, भगवान श्री
रामचंद्र, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न में थे। जाट समाज मर्यादा पुरुषोत्ताम
भगवान श्री रामचंद्र को अपना पूर्वज और पूजनीय मानकर उनके गुणों की
स्तुति करते हैं। महाभारत काल की रीति-नीति, चाल-चलन, वैवाहिक प(ति तथा
जाट संघटन अपने वंशज पांडवों की परम्परा से चले आ रहे हैं। तथा उस समय के
गणतंत्र निर्माता योगेश्वर श्री कृष्ण चन्द्र की गणतंत्र रूप पंचायतों के
न्याय की मान्यता जाटों में है।
महाभारत काल तक जाट शब्द समुदाय वाचक था। इसके पश्चात अन्य जातियों की
भाँति इसका प्रयोग जन्मगत जाति के रूप में प्रचलित हो गया। जाटों ने अपनी
वैभवशाली परम्परा एवं वीरोचित कार्यों से इतिहास के कुछ पृष्ठों पर
साधिकार आधिपत्य किया है। जाट सदैव शौर्य एवं वीरता के प्रतीक रहे हैं।
कुछ लेखक जाटों को आर्यों की संतान मानते हैं, कुछ हैहय क्षत्रियों की
स्त्रियों के गर्भ से ब्राह्मणों द्वारा उत्पन्न घोषित करते हैं, कुछ
इन्डोसिथियन जातियों के साथ इनका सम्बन्ध स्थापित करते हैं। कुछ शिव की
जटा से उत्पन्न मानते हैं। कुछ युधिष्ठर की पदवी जेष्ठ से जाट उत्पन्न
हुआ मानते हैं कुछ जटित्का को जाट जाति का आदि श्रोत ठहराते हैं। कुछ
इन्हें विदेशों से आया हुआ जिट, जेटा ऐक गात ;जाटध्द मानते हैं। कुछ इनको
ययाति पुत्र यदु से सम्बन्धित मानते हैं और कुछ इनका अस्तित्व पाणिनी युग
पूर्व मानते हैं तथा आर्यों के साथ इनका अभिन्न सम्बन्ध स्थापित करते
हैं।
जाटों की शारीरिक संरचना, भाषा तथा बोली उन्हें आर्य प्रमाणित करती है।
ऐसा डॉ0 ट्रम्प एवं वीम्स ने माना है। यह तय है कि जाट आर्य हैं और
प्रचण्ड वीर हैं। संसार में विभिन्न देशों में जाट प्राचीन काल से आज तक
my quit idial baby/daughter VANDANA GURU
निवास व शासन करते आये हैं भारत में बहुत प्राचीन काल से रहते आये हैं।
जाटों ने तिब्बत, यूनान, अरब, ईरान, तुक्रिस्तान, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी,
साइबेरिया, स्कोण्डिनेलिया, इंग्लैण्ड, रोम व मिश्र आदि में कुशलता,
दृढ़ता और साहस के साथ राज्य किया था और वहाँ की भूमि को विकास-वादी
उत्पादन के योग्य बनाया था।
मालवा, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा गंगा-यमुना का किनारा उनका मूल
निवास स्थल है। विदेशी आक्रमणकारियों से उन्होंने देश को बचाया है, हूणों
को परास्त किया है, देश और समाज की प्रगतिशील संस्कृति के निर्माण में
उन्होंने महान योगदान दिया है, राजा एवं पुरोहित के गठबन्धन को तोड़ा है,
इस संघर्ष में वे स्वयं टूटे हैं लेकिन मिटे नहीं, उनकी रुचि इतिहास के
निर्माण करने में रही, इतिहास लिखने का काम उन्होंने दूसरों के लिए छोड़
दिया, जिन्होंने अपना उत्तारदायित्व ईमानदारी से नहीं निभाया और जाटों की
विशेषताओं से जनसाधारण को दूर ही रखा।

Guru

Guru (गुरु) Gur (गुर) is gotra of Jats in Rajasthan.

Origin




This gotra originated from people of fair colour. Guru is also name of shresha (श्रेष्ठ) or superior people. Descendants of such people got the gotra name Guru. [1]

History

Bhim Singh Dahiya identifies Goruai of Greek with Guru/Gaur/Ghor of Indian clan.[2]

Distribution in Rajasthan

Villages in Churu district

Guru Jats live in villages:

स्वामी विवेकानंद
एक बार जब स्वामी विवेकानंद जी अमेरिका गए थे, एक महिला ने उनसे शादी करने की इच्छा जताई। जब स्वामी विवेकानंद ने उस महिला से ये पुछा कि आप ने ऐसा प्रश्न क्यूँ किया ?

उस महिला का उत्तर था कि वो उनकी बुद्धि से बहुत मोहित है और उसे एक ऐसे ही बुद्धिमान बच्चे कि कामना है।

इसीलिए उसने स्वामी से ये प्रश्न कि क्या वो उससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं ?

उन्होंने महिला से कहा कि चूँकि वो सिर्फ उनकी बुद्धि पर मोहित हैं इसलिए कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा:
...
“ प्रिये महिला, मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ। शादी करना और इस दुनिया में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा, इसके अलावा ऐसा हो इसकी गारंटी भी नहीं है।
इसके बजाय, आपकी इच्छा को तुरंत पूरा करने हेतु मैं आपको एक सुझाव दे सकता हूँ।

आप मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें। इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी और इस प्रकार मेरे जैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा भी पूर्ण हो जाएगी।“

-: ये काम एक सुसंस्कृत भारतीय ही कर सकता है ,यह समस्त विश्व हम भारतीयों को हमारे वर्तमान तरक्की ,या नई शक्तिशाली सेना या व्यापार के लिए नहीं पसंद करता , बल्कि यह विश्व हमें हमारी 20,000 + वर्ष पुरानी संस्कृति के लिए पसंद करता है ,सिर्फ यही हमारी पहचान है ......जय हिंद

 ‎==================U R G E N T================

--------------------------------N O T I C E------------------------------
2014 के लोकसभा चुनाव” के प्रत्याशी के लिए आवेदन पत्र :

... ... 1. उम्मीदवार का नाम:————————–

2.वर्तमान पता:
... (१) जेल का नाम: ————————–
(२) सेल नंबर:—————————-
(३) कैदी नंबर ——————————

3.राजनैतिक पार्टी: ____________ _________
* आप अभी तक जिन दलों में शामिल थे उनमें से केवल पिछले पांच दलों का नाम दें।
१ ———————– २ ———————– ३ ———————– ४ ————————-
५ ————————

4.राष्ट्रीयता { गोल चक्कर करे )
१ इतालियन
२ भारतीय
३ पाकिस्तानी
४ बांग्लादेसी

5 पिछली पार्टी छोड़ने के कारण (एक या अधिक को सर्कल करें )
१-भीतरघात
२-निष्कासित
३-खरीद लिये गये
४-कोई कुर्सी नहीं मिली
५-घोटाले के कारण
६-मलाई की कमी

6.चुनाव लड़ने के लिए कारण (एक या अधिक को सर्कल करें ) :
१-पैसा बनाने के लिए
२-अदालत के मुकदमे से बचने के लिए
३-सत्ता का घोर दुरुपयोग करने के लिए
४-गरीबों को मिटाने के लिए
५-घोटाले करने के लिए
६-मैं नहीं जानता
(यदि आपका उत्तर ६ है तो अपनी विवेकशीलता के लिये एक गैर मान्यता प्राप्त गैर सरकारी रिश्वत खोर मनोचिकत्सक का प्रमाणपत्र संलग्न करें)

7.आपको कितने साल का जन सेवा का अनुभव है?
१ – 1-2 साल
२ – 2-6 साल
३ – 6-15 साल
४ – 15 + साल

8. आप के खिलाफ लंबित किसी भी आपराधिकमामले का विवरण दें (पूरी जानकारी देने के लिये आप जितने चाहे उतने अतिरिक्त पृष्ट जोड़ सकते हैं)
———————————————————————————————————————

9.आपने कितने वर्ष जेल में बिताए हैं?
(कृप्या प्रश्न 7 से भ्रमित न हों)
१ – 1-2 साल
२ – 2-6 साल
३ – 6-15 साल
४ – 15- 20 साल
५ – बीस साल से ज्यादा

10.आप किसी वित्तीय घोटाले में शामिल हैं?
१ -क्यों नहीं
२ –बेशक
३ –निश्चित रूप से
४ -खानदानी धंधा
५ -मैं इस सब से इनकार करता हूं
६ –मुझे इसमें एक विदेशी हाथ दिखाई दे रहा है

11. आपकी वार्षिक भ्रष्टाचार आय क्या है ?
१ -100-500 करोड़
२ -500-1000 करोड़
३ -कोई गिनती नहीं …
(हवाला में डालर से की गयी कमाई को रुपयों में कनवर्ट करने के बाद शामिल करें)

12. क्या आपके मन में भारत के लिए कोई भी विकास योजना है?
उत्तर: ————————————————————————————————————————————————–

13. नीचे दिये गये स्थान में अपनी उपलब्धियों का बखान करें:
उत्तर: ————————————————————————————————————————

14.इनमे से कौन से धंधे में आपकी रूचि सबसे ज्यादा है ?
१.रिश्वेत लेने में ———————
२.हेरा फैरी में ————————-
३.हवाला के धंधे में ———————-
४.दलाली करने में —————————
५.सुपारी लेने में ———————
६.अपहरण करने में ———————————–
७.उपरोक्त सभी में ———————————–

१५. आपने कितने गुंडे पाल रखे हे.
उतर ——————————————–—————————————————

यदि आप में ये सारी खूबिया है तो ही यह फॉर्म भर सकते है, अन्यथा चुनाव आयोग आपका फॉर्म रद्द कर सकता है।
 और यदि पेज कम पड़े तो सादे पेपर में लिख सकते हो और
 इसको भरने के बाद चुनाव अधिकारी को भारतीय डाक द्वारा भेज दे, पता आप को मालूम होगा।