ramniwas guru

Tuesday 24 January 2012

VEER TEJAJI YUVA SAMITY,DAIKARA by ramniwas choudhary (guru)

jai veer  tejaji maharaj    jai maa gogmaya(kuldevi,devikhera dhaniyani)
आज भाइयो हर जाति साणी हो गी ,हर आपान भी आगे बढ़ना है ,हम ज्यादा गर्मी नही खाते है यही हमारी सबसे बड़ी गलती है --अरे जाट तो वो है जो अंधी को भी तूफान बना देते है
हमारा इतिहास इतना महँ है की अगर हम १ बार उससे पढ़ ले या ये रागनी मेरी प्रोफाइल में है उससे सुन ले ,आपकी रोगटे न खड़े हो जाये तो कहना ,
मै उस जाट परिवार से तालुक रखता हु जहा जनम लेते ही बोला जाता है बेटा अगर कोम क लिए तुझे अपनी जान देनी पड़े तो हमसे पूछने की जरुरत नही है ,
भाइयो अगर हम अब भी नहीं संभाले तो कभी नही संभल सकेगे ,हमारी कोम को आज हमारे बलिदान की जरुरत है ,और हमें वो देना होगा,,हम अपनी कोम को अपनी आँखों से यु बर्बाद होते नही देख सकते है
मै आप सभी से अनुरोध करूँगा की आप जितना जल्दी हो सके अपने जिला में जाट को एकजुट करे
हम उस महान कोम से तालुक रखते है जिसने कभी अपनी मूल्यों से समझोता नही किया ,एक कहावत जाटो में -" मुछ नही ते कुछ नही "
इसका मतलब है की अगर इज्जत नही तो हमे जीने का भी कोई अधिकार नही है ,हमे गर्व होना चाहिए की भगवन ने हमें जाट के घर पैदा किया है ,
हमारी कोम के रखवालो ने इतना गोरवशाली इतहास हमें दिया ये उनका उपकार है हमारे ऊपर और हमारा ये फ़र्ज़ बनता है की हम उससे संजो कर रखे
मै आप जाट भाइयो से विनती करूँगा की सरम-संके को छोरकर अपनी कोम को एकजुट करने में हमारा साथ दे ,ये समय की मांग है हम पिछड़ते जा रहे है ,
अगर हम आघे जाट भी एकजुट हो गये तो सरे सिस्टम को अपने अंडर कर सकते है ,
सभी जाट भाई आज से अपना लक्ष्य बनाये की हर महीने हम कम से कम पचाश जाट भाइयो को एक करेगे ,और वो दिन दूर नही जब हम सब राज करेगे ,..!!!
ये मेरे अकेले के करने से नही होगा इसमे हर जाट भाई के योगदान की आवश्यकता है क्युकी आप ही हो जो ये सब कर सकते हो
जय जाट

by: ramniwas choudhary(guru)(B.A.,B.ed)
daikara,jodhpur con .no.-9950577920,8764304384
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वह खून कहो किस मतलब का जिसमे उबाल का नाम नहीं,
वह खून कहो किस मतलब का आ सके कोम के काम नहीं.

वह खून कहो किस मतलब का जिसमे जीवन ना रवानी हैं,
जो परवश होकर बहता हैं वह खून नहीं हैं पानी हैं.

उस दिन दुनिया ने सही सही खून की कीमत पहचानी थी,
जिस दिन सुनील ने हिसार में दी अपनी कुर्बानी थी.

बोले जाट कोम की खातिर बलिदान तुम्हे करना होगा,
तुम बहुत जी चुके हो जग में लेकिन आगे मरना होगा.

कोम के लिए जो जयमाल चढ़ाई जायेगी,
वह सुनो तुम्हारे शीशों के फूलों से गुंथी जायेगी.

कोम का संग्राम कही पैसे पर खेला जाता हैं ,
यह शीश काटने का सौदा नंगे सर झेला जाता हैं.

कोम का इतिहास कही काली स्याही लिख पाती हैं ?
इसको लिखने के लिए खून की नदी बहाई जाती हैं.

यह कहते कहते वक्ता की आँखों में लहू उतर आया,
मुझ रक्त वर्ण हो दमक उठा दमकी उनकी रक्तिम काया.

अजनुबाहू ऊँची करके वो बोले " साथ मुझे देना "
इसके बदले जाटों की एकता तुम मुझसे लेना.

हो गयी सभा में उथल-पुथल सीने में दिल ना समाते थे,
स्वर में जय जाट के नारों का कोसों तक छाये जाते थे.

हम देंगे-देंगे साथ शब्द बस यही सुनाई देते थे,
रण में जाने को युवक खड़े तैयार दिखाई देते थे.

बोले सूरजमल जी ऐसे नहीं बातों से मतलब सरता हैं,
लो यह कागज़ हैं कौन यहाँ आकर हस्ताक्षर करता हैं.

इसको भरने वाले जन को सर्वस्व समर्पण करना हैं,
अपना तन-मन -धन जीवन अपनी कोम को अर्पण करना हैं.

पर यह साधारण पत्र नहीं अपनी कोम की एकता का परवाना हैं,
इसपर तुमको अपने तन का कुछ उज्जवल रक्त गिराना हैं.

वह आगे आये जिसके तन में जाट का खून बहता हो,
वह आगे आये जो अपने को जाट कहता हो.

वह आगे आये जो इसपर खुनी हस्ताक्षर देता हो ,
मैं कफ़न बढ़ाता हूँ आये, जो हसकर इसको लेता हो.

सारी जनता हुंकार उठी हम आते हैं हम आते हैं,
कोम के चरणों में यह लो हम अपना रक्त चढाते हैं.

साहस से बढे युवक उस दिन,देखा बढ़ते ही आते थे,
चाक़ू-छुरी कटियारों से वो अपना रक्त गिराते थे.

फिर उसी रक्त स्याही में वो अपनी कलम डुबाते थे,
कोम के परवाने पर वो हस्ताक्षर करते जाते थे.

उस दिन तारों ने देखा जाटों का इतिहास नया,
जब लिखा महा रणवीरों ने खूं से अपना इतिहास नया.
जय जाट ..!!!





♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°जाटों की ऐसी कहानी है , कि
जाट ही जाट कि निशानी है हम जब आये तो तुमको एहसास था , कि कोई एक शेर मेरे
पास था हम गरम खून के उबाल हैं , प्यासी नदियों की चाल हैं , हमारी गर्जना
विन्ध्य पर्वतों से टकराती है और हिमालय की चोटी तक जाती है हम थक कर
बैठेने वाले रड बांकुर नहीं ठाकुर हैं .... गर्व है हमें जिस माँ के पूत
हैं , जीतो क्यूंकि हम जाट हैं...!!!♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕°♪♪◕◕° जाट कौन?????विविधायुध वान रखे नितही , रण से खुश जाट वही |सब लोगन के भय टारन को ,अरी तस्कर दुष्टन मारन को |रहना न चहे पर के वश में ,न गिरे त्रिय जीवन के रस में |जिसके उर में शान्ति रही ,नय निति रखे जाट वही |जननी भगनी सम अन्य त्रिया, गिन के न कभी व्यभिचार किया |यदि आवत काल क्रपान गहि ,भयभीत न हो जाट वही |धर्तिवान से धीर समीप रखे , निज चाकर खवासन को निरखे |जिसने न रिपु ललकार सही , परिवार की रखे लाज जाट वही


हर नज़र को एक नज़र की तलाश है, हर चहरे मे कुछ तो एह्साह है! आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे, क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है! चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता, तो चाँद की चाहत किसे होती! कट सकती अगर अकेले जिन्दगी, तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती! कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना, इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना! कभी अगर दिल भर जाये तो संग अपने रुला लेना, तनहा जी कर अपने इस दोस्त को इतने बड़ी सजा ना देना! दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है, अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है! दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट, अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी झुक जता है! दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही, दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही! इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे, यह वो "अनमोल" मोती है जो बिकता नही! सची है दोस्ती आजमा के देखो, करके यकीं मुझपर मेरे पास आके देखो! बदलता नही कभी सोना अपना रंग, चाहे जितनी बार आग मे जला के देखो



by >--------ramniwas choudhary,daikara,jodhpur





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दुर्भाग्य से देश की कमान उस महिला के पास है जो ठीक से मात्रभाषा (हिंदी ) भी नहीं बोलना जानती. जो ये नहीं जानती की गरीबी क्या होती है ? गरीब खली पेट अपनी राते कैसे गुजरता है. हंसी उन के भाषण सुन कर तब आती है जब वो चुनावी मौसम में अपने महल से बाहर आ पर्ची पढ़ कर विरोधियो पर प्रहार करती है. पता नहीं क्यों वो प्रेस वार्ता में या किसी जनमंच पर सार्वजनिक बहस के लिए सामने नहीं आतीं . जब एक चपरासी के लिए योग्यता निर्धारित है तो नेताओ के लिए क्यों नहीं ?