ramniwas guru

Tuesday 24 January 2012

VEER TEJAJI YUVA SAMITY,DAIKARA by ramniwas choudhary (guru)

jai maa brahamani jogmaya kuldevi maa kiasim anukampa.......


jai shree satyawadi veer tejaji maharaj ki asim karipa.........


jai gusai ji maharaj ki asim anukmapa...........


jai panch mukhi balaji maharaj(palari ranawata).......
jai shree bhomiya ji maharaj ki asim kripa.......



श्री वीर तेजाजी युवा समिति, दईकङा,श्री सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज मँदिर युवा समितिजोधपुर-भोपालगढ रोङ,गाँव-दईकङा(देविखेङा),जालेली नायला रोङ पर स्थापित वीर तेजाजी महाराज मँदिर है




ramniwas choudhary(guru)(B.A.,B.ed.)
श्री वीर तेजाजी युवा समिति,द्वारा प्रतिवर्ष वीर तेजा दशमी को यहाँ मँदिर प्रागण मे रात्रिकालिन महाभजन सँध्या  आयोजित होती है ,भजन सँध्या मे ख्यातिप्राप्त लोककलाकारो द्वारा भजन मँङली, का सभी ग्रामवासियो के सहयोग से आयोजन होता है,हजारो की तादाद मै श्रोता भजनो का लाभ लेने पहूचते है ।वही तेजाजी मँदिर प्रागण मे मेले का आयोजन होता है ,जाट समुदाय के लोग हजारो की सख्या मे सामिल होकर तेजाजी महाराज के दर्शन कर अपने को धन्य़ करते है ।युवा समिति द्वारा वहाँ विभिन कार्य मे अपना योगदान देते है ।  आज तक भामाशाहो दवारा 30 लाख कि सहयोग राशी मिल चुकी है------------------ 
       जाट कौम जैसी मार्शल कौम के ईतिहास को अपने आने वाली भावी पीढी तक पहुचाना ।                             श्री वीर तेजाजी महाराज मँदिर खरनाल(नागौर) के बाद जोधपुर रियासत का पहला ऐतिहासिक मँदिर के रूप मे खयाति हासिल करना ।आने वाली भावी पीढी ईस मँदिर का ईतिहास मे बखान कर सके  ।कोई भी कौम का भामाशाह मँदिर मे अपनी सहयोग राशी दे सकता है
                                                                           -वीर तेजाजी मँदिर युवा समिति,दईकङा---               1  )    अध्यक्ष,            चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) -           आयु-  91 वर्ष                                                            2  )    वयवस्थापक,     चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) -           आयु-  91 वर्ष                                       3  )   कोषाध्यक्ष ,         चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) -           आयु-  91 वर्ष                                 4  )  उपकोषाध्यक्ष 1,       रघुनाथ जी भांम्भु                                                                                   5  )   उपकोषाध्यक्ष 2 ,    गोकुलराम जी ढाका                                                                               
6  )   सदस्य,         सभी युवा वर्ग (वयस्क,जाट बँधु)                   प्रेषक आपका अजीज अनुज जाटबँधु    रामनिवास गुरू (बी.ए.,बी.एड ,)                              मोबाईल न. 9950577920,8764304384,   दईकङा,,(सारण नगर,बनाङ रोङ,जोधपुर)                                                     -वीर तेजाजी महाराज की जीवनी 
papaji kailash ji guru(sub.major)
 सातवी शताब्दी के सम्राट हर्षवर्धन के निधन के पश्चात भारत अनेक जनपदो मे बँट गया था ।वर्तमान नागौर क्षैत्र,जो नागवँशी जाटो के गणो की अधिकता के कारण प्राचीनकाल मे नागाणा प्रदेश कहलाता था ।इसी नागाणा प्रदेश के खरनाल गण के शासक बोहीत राम धौलिया गौत्र जाट थे ।                                                                                                                                     खरनाल गणपति बोहीत राव के पुत्र ताहणदेव की छठी सँतान के रूप मे कुँवर तेजपाल का जन्म वि.स.1130,माघ सूक्ला 14,(29-1-1074)के दिन हुआ था  , माता का नाम रामकवरी था,प्राचीनकाल मे बाल विवाह प्रतिष्ठा का सूचक था अतःएक बार जब ताहणजी पुष्कर स्नान करने गये तब वही तेजपाल का विवाह पनेर निवासी रायमलजी की पुत्री पेमल के साथ कर दिया कुवर तेजपाल जब बङे हु्ए तो उन्होने किसानो को कृषि की नई नई तकनीक बताई,पहले किसान बीज  उछाल कर खेती करते थे,हल तलाकर बीज बोने का तरीका बताया ।                                                    लोकगीत-----------((तेजा बारह ऐ कोसा री जोती आवङी))                                                                              एक बार बरसात के मौसम मे खेती करते कुवर तेजपाल अपनी भाभी के ताना मारने पर पत्नी पेमल को लाने ससुराल पनेर गये उसी रात लाछा गुजरी की गाये मैणा ले गये थे,उस समय पशुधन अमुल्य था ।लाँछा पूरे गाँव मे सहायतार्थ फिरती है मगर चौरो के भय से कोई नही सुनता,अपना कर्तव्य समझ तेजाजी क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए शस्त्र सजि्जत तेजाजी गायो की ( वार )चढ जाते चौरो का पिछा करते है उसी वक्त रास्ते मे काला नागदेवता जँगल की आग मे अधजला तङप रहा था,तेजाजी उसे भाले दवारा अग्नि से बाहर फेकते है लेकीन नाग नाराज होकर कहता है----------------------तेजा। मेरी जीवन सँगिनी चली गयी ,मै भी जल जाना चाहता था मगर तूने क्यो बचाया,मै तूझे डसूँगा,                                                                                                                        तेजाजी दवारा गाये छूङाकर वापिस बम्बी पर आने का कहने पर नागराज को विश्वास नही होता ,तब तेजाजी उसे सूरज-चाँद,सूखे खेजङे की सौगँध(साख )भराकर वचन देते है कि मै हर हाल मे वापिस लौटुँगा।                                                                                                                                     तेजाजी वचन देकर सुरसरा की घाटी मे पहूच जाते है,जहाँ चौरो के साथ घमासान होता है,150 चोरो को मार गाये मुक्त कराते है मगर वहाँ बहूत अधिक घायल हो जाते है,गाये गूजरी को सौपकर वचनबद्ध सँप की बम्बी पर पहूच जाते है,कुँवर तेजपाल की वचन बद्धतासे नाग अत्यधिक खुश होते है,वह तेजाजी को डसना नही चाहता है,मगर तेजाजी महाराज के आग्रह पर नागदेवता डसने के लिए तैयार होते है,मगर नागदेवता कहता है---------  (तेजा ...... तेरा पुरा शरीर लहुलुहान है ,कहाँ डसु, नागराज कुँवारी जगह बिना नही डसता।                       तब तेजाजी भाला जमीन मे गाङ अपनी हाथ कि हथेलीआ और जीभ पर डसने को नागराज को कहते है और नागराज-----सत्यवादी   वीर तेजाजी महाराज को सैँदरिया(ब्यावर,अजमेर )   गाँव मे डस जाते है मगर सुरसुरा गाँव(किशनगढ) मे सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज 30 वर्ष की अवस्था मे ही भादवा सुदी 10,शनिवार,1160(28-8-1103) को गौरक्षार्थ की शहादत की खातिर वीर गति को प्राप्त हुँए ।                                                            आज सम्पूर्ण जाट वँशज वीर तेजाजी महाराज को अपने आराध्य देव,किसानदेव, के रूप मे पूजते है------बोलिए सत्यवादी झूँझार वीर तेजाजी महाराज की जय हो..........


जाट जाति की उत्पत्ति के सिद्धान्त



ramniwas choudhary(guru)(B.A.,B.ed.)

ज्येष्ठ शब्द से जाट - कुछ इतिहासकार जाट जाति की उत्पत्ति ज्येष्ठ शब्द से मानते है. ऐसी धरणा है कि राजसूय-यज्ञ करने के बाद युधिष्ठिर को 'ज्येष्ठ' घोसित किया गया था. आगे चल कर उनकी सन्तान 'ज्येष्ठ' से 'जेठर' तथा 'जेटर' और फ़िर 'जाट' कहलाने लगे. कुछ अन्य इतिहासकार मानते हैं कि पाण्डवों को महाभरत में विजय दिलाने के कारण श्रीकृष्ण को युधिष्ठिर की सभा में ज्येष्ठ की उपाधि दी गयी थी. अलबरुनी श्रीकृष्ण को जाट मानते हैं. (अलबिरुनी, भारत, पृ. 176).
शिव और जाट
एक अन्य सिद्धान्त के अनुसार शिव की जटाओं से जाट की उत्पत्ति मानी जाती है. यह सिद्धान्त देव संहिता में उल्लेखित है. देव संहिता की इस कहानी में कहा गया है कि शिव के ससुर राजा दक्ष ने हरिद्वार के पास कनखल में एक यज्ञ किया था. सभी देवताओं को तो यज्ञ में बुलाया पर न तो महादेवजी को ही बुलाया और न ही अपनी पुत्री सती को ही निमंत्रित किया. शिव की पत्नि सती ने शिव से पिता के घर जाने के लिये पूछा तो शिव ने कहा- तुम अपने पिता के घर बिना बुलाये भी जा सकती हो. सती जब पिता के घर गयी तो वहां शिव के लिये कोई स्थान निर्धारित नहीं था, न उनके पति का भाग ही निकाला गया है और न उसका ही सत्कार किया गया. ulte शिवाजी का अपमान किया और बुरा भला कहा गया. अपने पति का अपमान देखकर, पिता तथा ब्रह्मा और विष्णु की योजना को ध्वस्त करने के उद्देश्य से उसने यज्ञ-कुण्ड में छलांग लगा कर प्राण दे दिये. इससे क्रुद्ध शिव ने अपने जट्टा से वीरभद्र नामक गण को उत्पन्न किया. वीरभद्र ने जाकर यज्ञ को भंग कर दिया. आगन्तुक राजाओं का मान मर्दन किया. ब्रह्मा और विष्णु को यज्ञ से जाना पडा.
वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया. ब्रह्मा और विष्णु शिव को मनाने उनके पास गये. उन्होने शिव से कहा कि आप भी हमारे बराबर हैं. इस समझोते के बाद शिव और उसके गण जाटों को बराबर का दर्जा मिला. शिव ने दक्ष का सिर जोड दिया. कहते हैं कि दक्ष को बकरे का सिर जोडा गया था. यह भी धारणा है कि ब्राह्मण इसी अपमान के कारण जाटों का इतिहास नहीं बताते
jai maa jogmaya ki jaiiiiiiiiiiiiiii

प्रेषक आपका अजीज अनुज जाटबँधु    रामनिवास गुरू (बी.ए.,बी.एड ,)   मोबाईल न. 9950577920,8764304384,   दईकङा,,(सारण नगर,बनाङ रोङ,जोधपुर) 

3 comments:

  1. weldone.............
    jai shree veer tejaji maharaj ki jaiiiii

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  2. dinesh kaswa s/o mitaram ji kaswa village/post...daikara ,jodhpur,rajsthan con. no. 9660040471

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  3. तुलसी की जगह Money plant ने ले ली,
    चाचीजी की जगह Aunt ने ले ली!

    पिताजी जीते जी डैड हो गये,
    आगे और भी है आप तो अभी से Glad हो गये!
    ...
    भाई Bro हो गये बहिन अब Sis हो गयी,
    ... दादा दादी की तो हालत टाँय टाँय Fiss हो गयी!

    बड़ी बुरी दशा परिचारिका के Mister की हो गयी,
    बेचारे की तो बीवी भी Sister हो गयी!

    मुन्नी बिना कुछ किये बदनाम हो गयी,
    ऊपर से शीला भी जवान हो गयी!

    Tv की सास बहु मेँ साँप नेवले सा रिश्ता है,
    पता नहीँ ये एकता कपूर औरत है या फरिश्ता है!

    जीती जागती माँ बच्चोँ के लिये Mummy हो गयी,
    घर की रोटी अब अच्छी कैसे लगे 5 रुपये की Maggi जो इतनी
    Yummy हो गयी!

    दिन भर बेटा CHATTING ही नहीँ करता,
    रात मे Mobile पर SETTING भी करता है!

    लैला और मजनूँ के भूत भी पछताते हैँ,
    क्योँकि उनके नाम अब सड़क किनारे नुक्कड़ पे
    पुकारे जाते हैँ,

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दुर्भाग्य से देश की कमान उस महिला के पास है जो ठीक से मात्रभाषा (हिंदी ) भी नहीं बोलना जानती. जो ये नहीं जानती की गरीबी क्या होती है ? गरीब खली पेट अपनी राते कैसे गुजरता है. हंसी उन के भाषण सुन कर तब आती है जब वो चुनावी मौसम में अपने महल से बाहर आ पर्ची पढ़ कर विरोधियो पर प्रहार करती है. पता नहीं क्यों वो प्रेस वार्ता में या किसी जनमंच पर सार्वजनिक बहस के लिए सामने नहीं आतीं . जब एक चपरासी के लिए योग्यता निर्धारित है तो नेताओ के लिए क्यों नहीं ?